भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक होगा बैन


नई दिल्ली । सिंगल यूज प्लास्टिक होगा बैन
2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 100 वीं जयंती के दिन देशभर में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैन होने जा रहा है। इस तारीख से सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले छह प्रोडक्ट्स- प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स बंद होने जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक से फ्री करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने इस साल लाल किले से अपने भाषण में देशवासियों से सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने की अपील की है। 


जाने क्या है सिंगल-यूज प्लास्टिक


ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर वह डस्‍टबिन में चला जाता है। सीधे शब्दों मे कहें तो इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाता है। इसे हम डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक भी कहते हैं। हालांकि, इसकी रीसाइक्लिंग की जा सकती है। इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप्स आदि।


सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प


प्लास्टिक बैग.. सिंगल यूज प्लास्टिक में सबसे बड़ा योगदान इसी का है। 


विकल्प : जूट, कपड़े और मोटे कागज के कैरीबैग।


छोटी प्लास्टिक बोतल - पैकेज्ड पानी, कुकिंग ऑइल्स की पैकिंग में इस्तेमाल होता है। इन्हें बाद में फेंक दिया जाता है।


विकल्प: तांबे-स्ट्रील जैसी धातुओं, कांच की बोतलें


प्लास्टिक प्लेट-दोने शादी, पार्टी, स्ट्रीट फूड कॉर्नर जैसी जगहों पर इनका सर्वाधिक इस्तेमाल इन दिनों हो रहा है। गंदगी का बड़ा कारण ये भी है।


विकल्प - खांखर या ढाक, केला और कमल के पत्तों से बने दोना-पत्तल। शहरों में खुल रहे बर्तन बैंक।


स्ट्रा पाइप... जूस पीने के लिए स्ट्रा पाइप का चलन तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक से बनी यह पाइप एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती है।


विकल्प - बाजार में सस्ती कीमत में कागज की स्ट्रा पाइप हैं।


प्लास्टिक कप-ग्लास - चाय, पानी, आदि के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। आयोजनों में इसका खूब उपयोग होता है।


विकल्प - कुल्हड़। कांच व मेटल के गिलास की बोतल।


शैचेट्स (पाउच)..- शैंपू, हेयर ऑइल और अचार बनाने वाली कंपनियां शैसे (प्लास्टिक पाउच) में पैकिंग कर बेचती हैं। इन्हें इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है।


विकल्प- इसके विकल्प अब तक तय नहीं हो सका है। इसलिए इसके प्रतिबंध पर भी अभी सहमति नहीं बन पाई है।


 


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