महासंयोग 20 साल बाद बन रहा मोक्ष अमावस्या का योग


20 साल बाद इस बार सर्व पितृमोक्ष अमावस्या शनिवार के दिन है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन शनिवार का महासंयोग अत्यंत सौभाग्यशाली है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक जो कोई अपने  पितरों का श्राद्ध पितृपक्ष में ना कर पाया हो या श्राद्ध की तिथि मालूम ना हो, तो वह सर्वपितृ अमावस्या को अपने ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन का श्राद्ध कर्म करना फलदायक माना गया है।


इस अमावस्‍या को पितृ विसर्जनी के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होने पर पितर धरती पर आते हैं और सर्व पितृ अमावस्‍या के दिन पितरों का तर्पण कर उन्‍हें धरती से विदा किया जाता है। इस दिन किया गया श्राद्ध से सर्वपितरों की मुक्ति होती है और श्राद्ध कर्म करने वाले को पुण्य प्राप्त होता है। इस अमावस्‍या के साथ ही 16 दिनो का पितृ पक्ष समाप्‍त हो जाता है ।  और अगले दिन 29 सितंबर  से शारदीय नवरात्र लग जाएँगे।


माना जाता है कि श्रद्धापूर्वक श्राद्ध न करने पर पितरों तो बहुत निराशा और दुख होता है और वे अपने वंशजों को शाप देकर लौट जाते हैं। इसी कारण भविष्य में होने वाली संतानों की कुंडली में पितृदोष आदि देखने में आते हैं।
इस बार अमावस्या के दिन एक अद्भुत संयोग बन रहा है...28 सितंबर को शनि और अमावस्या के संयोग से शनि अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। इससे पहले 1999 में इस तरह का महासंयोग बना था। इस विधि से पितरों की विदाई कर आप इस दिन को अपने लिए सौभाग्यशाली बना सकते है।


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