महान क्रांतिकारी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, शहीद-ए-आज़म सरदार भगतसिंह जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।
"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है"।
देश पर जान न्यौछावर करने वाले अमर शहीद भगत सिंह की आज 28 सितंबर जयंती है। शहीद भगत सिंह का जन्म पंजाब के लायपुर जिले के बगा में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को अपने साहस से झकझोर देने वाले भगत सिंह ने नौजवानों के दिलों में आजादी का जुनून भरा था।
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन रौलट एक्ट के विरोध में जलियांवाला बाग में सभा चल रही थी। अंग्रेजो को यह बात पसंद नहीं आई और जनरल डायर के आदेशों के चलते निहत्थे लोगों पर अंग्रेजी सैनिकों ने ताबड़बतोड़ गोलियों की चला दी। इस अत्याचार ने देशभर में क्रांति की आग को और भड़का दिया।
12 साल के भगत सिंह पर इस सामुहिक हत्याकांड का गहरा असर पड़ा। भगत सिंह पर जलियांवाला बाग के रक्त रंजित धरती की कसम खाई कि अंग्रेजी सरकार के खिलाफ वह आजादी का बिगुल फूंकेंगे।
महात्मा गांधी ने जब 1922 में चौरीचौरा कांड के बाद असहयोग आंदोलन को खत्म करने की घोषणा की तो भगत सिंह का अहिंसावादी विचारधारा से अलग हो गये । भगत सिंह ने 1926 में देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की।
अंग्रेजी सरकार के दमनकारी नीतियों के खिलाफ लाला लाजपत राय शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। तभी पुलिस अधीक्षक स्कॉट और उसके साथियों ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां चलाई। इसमें लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए । लाला जी का 17 नवंबर को उनका देहांत हो गया। लाला जी के देहांत के बाद भगत सिंह और उनके साथी ने लाहौर में 'सांडर्स-वध' किया। और बाद में दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट कर अंग्रेजी साम्राज्य को हिला कर रख दिया।
भगत सिंह ने सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काकोरी कांड को अंजाम दिया। जिसने अंग्रेजों के दिल में भगत सिंह के नाम का खौफ पैदा कर दिया ।
23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया। यह माना जाता है कि मृत्युदंड के लिए 24 मार्च की सुबह ही तय थी, मगर जनाक्रोश से डरी सरकार ने 23-24 मार्च की मध्यरात्रि ही फांसी पर लटका दिया था।
उनके विचार
1. बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
2. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।
3. प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
4. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
5. व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।
6. अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज़ को जोरदार होना होगा।