भेड़ों कों रौंदते हुए निकल गईं पिकअप, 100 से ज्यादा भेड़े मरीं,
गड़रिया राजकुमार पाल की भी पिकअप की चपेट में आने से मौत
परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी राजकुमार के ही कंधों पर थी।
गोरखपुर के कुशीनगर में कुबेरस्थान थाना क्षेत्र के गांगरानी चौराहे के समीप सोमवार तड़के करीब चार बजे तेज रफ्तार पिकअप ने भेड़ों की झुंड को रौंद दिया।
सुभाष पाल, राजकुमार पाल और मनिकौरा भेड़िहारी रविवार की रात अपनी भेड़ों को लेकर कुबेरस्थान थाना क्षेत्र के गांगरानी चौराहे के निकट ठहरे थे। बताया जा रहा है कि
सोमवार की सुबह करीब 4 बजे तीन गड़रिया अपनी भेड़ों के झुंड को लेकर आगे सरया की तरफ बढ़ रहे थे, तभी गांगरानी और सरया गांव के बीच पडरौना की तरफ से तेज रफ्तार में आ रहे दो पिकअप चालक भेड़ों के झुंड को रौंदते हुए चले गए। इससे सौ से ज्यादा भेड़ों की मौत हो गई, जबकि कई भेड़ घायल हो गईं। भेड़ों को बचाने की कोशिश में गड़रिया राजकुमार पाल भी घायल हो गया। उधर गए लोगों ने इतनी अधिक तादाद में भेड़ों को मरा पड़ा देख शोर शुरू हो गया जिसके बाद भीड़ वहा इकट्ठा हो गई। सूचना मिलने पर कुबेरस्थान थाने की पुलिस भी वहा पहुंची। पुलिस ने भेड़ों के शवों को सड़क से हटवाया और घायल गड़रिया राजकुमार पाल को जिला अस्पताल भेजा, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। सीओ सदर नितेश प्रताप सिंह ने घटनास्थल पर पहुंचकर जानकारी ली। उन्होंने इस बारे में आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। सीओ सदर ने बताया कि मरने वाली भेड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया है। इसके साथ ही अन्य गड़रियाओ से तहरीर लेकर अज्ञात पिकअप चालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उनकी तलाश की जा रही है।
परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी राजकुमार के ही कंधों पर थी।
भेड़ों के साथ खुद भी पिकअप की चपेट में आने से मरने वाला राजकुमार पाल पडरौना कोतवाली क्षेत्र के त्रिलोकपुर गांव का निवासी था। वह अपने परिवार का मुखिया था। अपने दो सगे भाइयों सुभाष पाल और सरल पाल के साथ मिलकर भेड़ पालने का व्यवसाय करता था। उससे जो आमदनी होती थी, उसी से उसके परिवार की रोजी-रोटी चलती थी।
परिवार में मृतक की पत्नी सुभावती देवी पाल के अलावा दो बेटे तथा एक बेटी है। उनमें बड़ा बेटा अंकितपाल 15 वर्ष और बेटी खुशी पाल 12 वर्ष की है। सबसे छोटा बेटा अनूपपाल 8 वर्ष का है। भाई-बहन तीनों गांव के ही परिषदीय विद्यालय में क्रमश: सातवीं, छठवीं व तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं। मृतक की पत्नी सुभावती घर का कामकाज निपटाने के बाद बच्चों की पढ़ाई लिखाई का ध्यान रखती हैं। राजकुमार पाल की मौत के बाद से ही उसका पूरा परिवार मातम में डूब गया है। परिवार में अब ऐसा कोई सदस्य नहीं है, जो परिवार की जिम्मेदारियों को पूरी तरह संभाल सके। दोनों बेटे भी अभी छोटे हैं और पढ़ रहे हैं, जिनकी पढ़ाई-लिखाई के साथ ही उनके भरण-पोषण का खर्च जुटाना परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऊपर से इकलौती बेटी खुशी की पढ़ाई-लिखाई के बाद उसकी शादी का इंतजाम करना भी इस परिवार के लिए बहुत ही कठिन होगा।