इन्दौर ।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री मनीष सिंह ने भारतीय दण्ड संहिता विधान 1973 की धारा 144 के तहत जिले में मकान मालिक द्वारा किराया वसूली पर रोक लगा दी है तथा छात्रावास संचालकों को छात्रावासी विद्यार्थियों को भोजन भी देने के निर्देश दिये हैं।
वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण विश्व के बहुत से देशों में फैल चुका है तथा लगभग लोखों लोग इससे प्रभावित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोराना वायरस रोग के फैलने की गंभीर स्थिति को देखते हुये इसे महामारी घोषित किया गया है। राज्य सरकार के द्वारा जारी एडवायजरी अनुसार इस सक्रांमक रोग को रोकने के हेतु इंदौर जिले में भी एतिहात बतौर मानव स्वास्थ्य के प्रति संभावित खतरे को दृष्टिगत रखते हुये कोरोना वायरस रोग से बचाव तथा रोकथाम हेतु वर्तमान में पूर्णतया लॉकडाउन होने से अनेकों व्यवस्थाएं स्थगित है। ऐसी स्थिति में भी यह देखने में आ रहा है कि बाहर से आये अध्ययन हेतु आये छात्र, छात्राओं, निम्न व मध्यम आय वर्ग के किरायेदार, जो इंदौर जिले में होस्टलों, मकानों में किराये से निवास कर रहे हैं, उनके होस्टल संचालकों, मकान मालिकों द्वारा किराये के भुगतान किये जाने हेत परेशान किया जा रहा है। वर्तमान में सम्पूर्ण लॉकडाउन होने से भी व्यवस्थायें स्थगित होने से इस तरह के अनेकों कठिनाई आ रही है। उक्त स्थिति के पश्चात भी कुछ होस्टल संचालकों, मकान मालिको द्वारा किराये की राशि हेतु किरायेदारों को परेशान किये जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही है। साथ ही बाहर से अध्ययन हेतु छात्र/छात्राओं का खाना उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
वर्तमान में कोरोना वायरस रोग से बचाव तथा रोकथाम हेतु लगाये गये सम्पूर्ण लॉकडाउन को देखते हुये बाहर से अध्ययन हेतु आये छात्र और छात्राओं, निम्न व मध्यम आये वर्ग के किरायेदारों से उनके होस्टल संचालक, मकान मालिकों द्वारा माह मार्च की किराये की राशि, जो अप्रैल में देय है, को प्राप्त करने हेतु किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जायेगा। कोरोना वायरस समाप्त होने के बाद उक्त संबंधित किरायेदार द्वारा किराये की राशि का निराकरण करा दिया जायेगा। बाहर से अध्ययन हेतु छात्र/छात्रायें, जो होस्टलों या मकानों में किराये से रह रहे हैं, यदि उनके भोजन में कहीं कठिनाई आ रही है और उन्हें भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, तो उन्हें भोजन उपलब्ध कराने की सम्पूर्ण जवाबदारी संबंधित होस्टल संचालक या मकान मालिक की होगी। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील रहेगा तथा उक्त आदेश का उल्लंघन करने वाले धारा-188 भारतीय दण्ड विधान अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आयेगा।